(22 22 22 22 22 22 22 2)
शायर है तू
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा )
दिल्ली विश्वविद्यालय
मोबाइल-9871603621
शायर है तू
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा )
दिल्ली विश्वविद्यालय
मोबाइल-9871603621
शायर हो अपने दिल के तुम, जज़्बात बचाए रखना
सब को छू लें वो सारे फिर, अंदाज बचाए रखना।
सब को छू लें वो सारे फिर, अंदाज बचाए रखना।
वक्त अभी नाजुक ऐसी बातें, तो सब कहते रहते
सच कहने वाले हैं कुछ जो, लमहात बचाए रखना।
सच कहने वाले हैं कुछ जो, लमहात बचाए रखना।
आँधी भी तुमको अबतक तो, ज़ड़ से ना हिला पाई है
तकती यार निगाहें सब कि, मुलाक़ात बचाए रखना।
तकती यार निगाहें सब कि, मुलाक़ात बचाए रखना।
खेतों में उगती धान नहीं, बेवक्त अगर बारिश हो
हालात भरोसे के हों जो, दिन-रात बचाए रखना।
हालात भरोसे के हों जो, दिन-रात बचाए रखना।
पल-पल में रंग बदलता है, गिरगिट सा आज ज़माना
साया छोड़े साथ मगर तुम, अहसास बचाए रखना।
साया छोड़े साथ मगर तुम, अहसास बचाए रखना।
खुद को ही देखा करते* 'अमर', बेखुद होके अक्सर तुम
अक्स दिलों में उतरे जब वह, बरसात बचाए रखना।
अक्स दिलों में उतरे जब वह, बरसात बचाए रखना।
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