उनकी मिली छाँव तो
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा)
दिल्ली विश्वविद्यालय
मोबाइल-9871603621
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा)
दिल्ली विश्वविद्यालय
मोबाइल-9871603621
उनकी मिली छाँव तो मशहूर तुम हो गए
किसने पुकारा के यूँ मजबूर तुम हो गए
किसने पुकारा के यूँ मजबूर तुम हो गए
किसको बताएँ तड़प दिल की बनी ही रही
उनकी हँसी देखकर मगरूर तुम हो गए।।
उनकी हँसी देखकर मगरूर तुम हो गए।।
दबकर पड़े थे कहीं पत्थर के जो ढेर में
जबसे छुआ उसने कोहेनूर तुम हो गए।
जबसे छुआ उसने कोहेनूर तुम हो गए।
मक़सद तुम्हारा गया बन चीरना अब तमस
यूँ ही नहीं उस नज़र के नूर तुम हो गए।
यूँ ही नहीं उस नज़र के नूर तुम हो गए।
कुछ तो करम अपने कुछ रब की दुआ भी रही
आँधी चली धूल की जब दूर तुम हो गए।
आँधी चली धूल की जब दूर तुम हो गए।
इस भीड़ में सब अकेला चल रहा है 'अमर'
अच्छा हुआ कारवां से दूर तुम हो गए।
अच्छा हुआ कारवां से दूर तुम हो गए।
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