किसको बताएँ
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा)
मोबाइल-9871603622
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा)
मोबाइल-9871603622
किसको बताएँ क्यों जहर जीवन में अब ये भर गया
जलती हुई इस आग में वह राख सब कुछ कर गया।
जलती हुई इस आग में वह राख सब कुछ कर गया।
वादे सभी हैँ खोखले, जब भी हवा थी कह रही
पर था समां ऐसा बना तब बिन कहे जग मर गया।
पर था समां ऐसा बना तब बिन कहे जग मर गया।
थी जब चली उसकी सुनामी बाँध भी टूटे कई
चुपचाप सब सहते रहे अब सच कहें अवसर गया।
चुपचाप सब सहते रहे अब सच कहें अवसर गया।
रणबाँकुरे आगे बढ़े हैं जंग फिर से छिड़ गई
सैलाब भी अब थम रहा तो फिर दिलों से डर गया।
सैलाब भी अब थम रहा तो फिर दिलों से डर गया।
चलती रहीं सब कोशिशें पर लोग अब बहके नहीं
काँटे डगर में हर तरफ काँटों से मैं मिलकर गया।
काँटे डगर में हर तरफ काँटों से मैं मिलकर गया।
कब तक चलेंगे खोटे सिक्के रो रहा बाजार भी
सपने दिखाए थे बहुत अब तो 'अमर' जी भर गया।
सपने दिखाए थे बहुत अब तो 'अमर' जी भर गया।
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