मंगलवार, 6 मार्च 2018

सुप्रभात।नमस्कार। अहो भाग्य।🙏🙏🌹🌹बहुत-बहुत धन्यवाद।
1212/22/2/,212/22/2
मफ़ायलुन/फैलुन/ फ़ा/, फ़ायलुन/फैलुन/ फ़ा
बदल रहा गर सबकुछ
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा)
दिल्ली विश्वविद्यालय
मोबाइल-9871603621
बदल रहा गर सब कुछ, तो बदल जाने दो
ठहर जरा मदहोशी, भी मगर छाने दो।
तड़क-भड़क देखो तो, होश उड़ जाते हैं
चहक रही वासंती प्रीति को पाने दो।
हमें गई बौरा ये, बेरहम होली भी
बचे हुए पल हैं कम, ग़म सभी खाने दो।
बने रहे वाइज़ हम, उम्र-भर रोज़े रख
बिना पिए मुझको अब, रिन्द कहलाने दो।
खबर मुझे कुछ भी ना, वक़्त के जाने की
महक रही साँसों से, देह महकाने दो।
बज़ा रही ढ़ोलक रुत, झाल-मंजीरे भी
सुनो 'अमर' तुम भी अब, नज़्म कुछ गाने दो।

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