ग़ज़ल
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हम प्यार के बदले में तिजारत नहीं करते
हो प्यार का बाजार, हिमायत नहीं करते
हो प्यार का बाजार, हिमायत नहीं करते
मत भूल कि क्या प्यार में वादे किये तूने
वादों को भुलाने की शरारत नहीं करते
वादों को भुलाने की शरारत नहीं करते
तुम आज नहीं कल ही सही, अपने ही तो थे
हम प्यार में खोए हैं, अदावत नहीं करते
हम प्यार में खोए हैं, अदावत नहीं करते
जो प्यार के बदले में मुझे रोज है डँसता
उससे भी कभी हम तो शिकायत नहीं करते
उससे भी कभी हम तो शिकायत नहीं करते
है दूर नहीं मुल्क़ चुनावों के समर से
सुल्तान को क्यों आप हिदायत नहीं करते
सुल्तान को क्यों आप हिदायत नहीं करते
हम लूटने देंगे नहीं अपने ही वतन को
क्यों आज, इसी वक़्त बगावत नहीं करते
क्यों आज, इसी वक़्त बगावत नहीं करते
कुछ देर तलक दिल को 'अमर' तुम भी टटोलो
नापाक इरादों से ज़ियारत नहीं करते
नापाक इरादों से ज़ियारत नहीं करते