सोमवार, 30 मार्च 2009

राज्य को शिक्षा का बोझ उठाना पड़ेगा.

However, Dr. Amar Nath Jha, professor of history and former member of the university’s academic council is dead set against fee hikes for DU students. “Education and health are the responsibility of the state. The health sector is in very poor shape today. The few good hospitals are beyond the reach of a significant majority in India. We don’t want education to meet the same fate. Every citizen should have access to quality education. Putting a price will deny access to deserving and genuine students who can’t afford to pay,” says Jha, voicing the popular sentiment on the DU campus.

Abysmal global ranking of India’s best university
The Times Higher Education-QS World University Rankings 2008 of the world’s top 500 universities ranks Delhi U — India’s top-rated varsity — at a distant No.274,� several notches below higher education institutions in China, Malaysia and Thailand. Ajit Jha reports

रविवार, 22 मार्च 2009

सही रणनीति

अभी-अभी बी बी सी से समाचार सुना कि झारखण्ड में जे एम एम के साथ कांग्रेस का गठजोड़ अभी पूरा नहीं हुआ है। मैंने भी अपनी राय दी है कि यदि जे एम एम को झारखण्ड कि सबसे बड़ी ताकत बनानी है तो जे एम एम को सबसे बड़ी पार्टी का आत्मविश्वास हासिल करना होगा। इसलिये अपने पास ८ सीटें रखकर बाकी दलों के लिए ४ सीटें छोड़नी चाहिए। अगर बात नहीं बनती है तो अकेले दम पर १४ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, तभी जे एम एम अपने पांव पर खड़ा होकर अपनी पूरी भूमिका निभा पाएगा. परन्तु गुरूजी के बीमार पड़ जाने से सारी चीजें रूक गयी हैं .

शनिवार, 21 मार्च 2009

आज जिस तरह की जद्दोजहद कर रहा हूँ उसमे कई बार मन शिथिल होने लगता है,लगता है राजनीति का यह खेल हमारे बस का नहीं है.कल६०० किलोमीटर ड्राइव करके जिनसे मिलने गया वह अपने ही जाल में उलझा हुआ था,मुझे क्या टिकेट दिलाता?पहले भी ऐसा ही होता रहा.क्या राजनीति में सिर्फ़ बेईमानी ही चलती रहेगी?फिर कैसे ठीक हो पायेगी व्यवस्था?पूनम भी तो काफ़ी छूब्ध थी.पर हमें हारना नही है.बढे पिता आचार्य पंकज की यह पूरी कविता हमें कैसा कहती है इसे हमें भूलना नही चाहिए।


बढे अगम की ओर बीच में


पंथी फ़िर अब रुकना कैसा?


जूझ चुके हो झंझा से जब


सहसा तब यह झुकना कैसा?

रात देर से आया.पहली बार दिल्ली से आगरा और उससे भी आगे सेवाल अहीर गाँव गया ख़ुद गाड़ी चलते हुए .सज्जन और दिल से मदद करने वाले लोग आज भी बहुत हैं.लेकिन राजनीति के खिलाड़ियों नि अपनी चाल होती है.परन्तु मैं संतुष्ट हूँ की मैं अपना काम कर रहा हूँ.पूनम भी मेरा पूरा साथ दे रही है.मेरे साथ गयी-आयी.थक कर सोई है.साक्षी स्कूल गई तो मैं उठकर ब्लॉग खोलकर बैठ गया.सूरज जी स्वस्थ रहते तो इस बार चुनाव जरूर लड़ते.इश्वर शीघ्र उन्हें स्वस्थ बनायें.केंसर जैसी बीमारी पर काबू पाना ईश्वर की कृपा और ख़ुद की जीजीविषा से ही संभव है.अचानक दो महीने में कितना बदल गया सूरज जी का संसार. मार्च को सफल ऑपरेशन हो गया.१६ मार्च को घर भी गए हैं.अभी ठीक ही हैं.नोर्मल होने में अभी वक्त लगेगा.ईश्वर कृपा करें.केंसर के नाम से दिल दहल जाता है.समीर बाबू कहाँ टिक पाए.गायत्री को इस छोटी सी उम्र में कितना बड़ा दुःख झेलना पड़ रहा है.परन्तु इंसान को तो परिस्थितियों से जूझना ही पड़ता है.प्रत्येक विषम परिस्तिथि में भी सतुलन बनाये रखने वाला ही विजयी होता है.पूज्य बाबूका ने उद्रार में कितना सही लिखा है---रूकने वाला हर चुका है,मंजिल पर ही क्यों रुके/अविरल चलने vala

सोमवार, 16 मार्च 2009

rajneeti

राजनीती में हूँ और राजनीती के सारे प्रपंचों को समझता भी हूँ.क्या सचमुच राजनीती ऐसी ही होती है.क्या सब दिन राजनीती ऐसी ही थी.क्या राजनीती ऐसी ही रहेगी.२००२ में भी चुनाव लड़ सकता था अगर वह शर्त पूरी करता.२००४ में तेल और तेल की धार देखता रह गया मैं सांसद बन गया कोई और.अब२००९ में क्या नया है देखना चाहता हूँ.इसीलिए तो इसबार ज्यादा व्यापक स्तर पर क्रियाशील हो गया हूँ.परन्तु आज क्या हुआ सुनो.टिकट की कीमत देनी होगी.कितनी कीमत बस अंदाजा लगाओ.मेकियावेल्ली और chaanakya के साथ महाभारत भी पदों तभी समझ सकोगे इस खेल को.

रविवार, 15 मार्च 2009

mahaparva

लोकतंत्र के इस चुनावी महापर्व में आज भी करोड़ों हिन्दुस्तानियो की क्या भूमिका है उस पर कभी सोचा है.दिल्ली के चश्मे से महानगरों और शहरों की हलचलों के आधार पर पुरे देश की नब्ज पहचानने का दावा करने वाले बुद्धिजीविओं पर जमीनी नेता हंसते हें तो क्या हुआ?बुद्धिजीवी भी कहाँ सुधारने वाले हैं .चुनावी महापर्व के पंडित बनते हैं परन्तु चुनावी महासमर के योद्धा नही बन सकते हैं.परन्तु मैं इस अग्नि परीक्षा में से होकर गुजरना चाहता हूँ.है किसी पार्टी मैं नैतिक दम जो मेरे सिधान्तों को स्वीकार करते हुए मुझपर भरोसा करे और मुझे महज बुद्धीजीवी ही नहीं इस चुनावी महासमर का महारथी स्वीकार करे.आप सबकी मदद कहता हूँ.कौन-कौन साथ दोगे और क्या मदद कर सकोगे? तुम मुझे विश्वास दो मैं तुम्हें परिवर्तन दूंगा.