शनिवार, 28 नवंबर 2009

Plz comment on my blog
पंकज जी समाज का वरदान!
ये कहा जाता है कि bhagvaan कभी कभी मानव को महामानव बनाकर दुनिया में भेजते हैं।is बात को बल आचार्य ज्योतिन्द्र प्राद झा "पंकज" के जन्म पर मिलता है और ऊपर वाले की सत्ता की इन्साफ पर यकीं होता है। इस बात पर कोई किंतु परन्तु नहीं है की उपरवाले ने परमपूज्य "पंकज जी " को एक समाज का एक अनमोल वरदान स्वरुप तोहफा भएंट प्रदान किया।
जारी

शनिवार, 21 नवंबर 2009

ye kaisi bachainee hai?


ये कैसा अनमनापन है? जोश-खरोश से  दुनिया को बदलने के सपने ३५ सालों से देख रहा हूँ.तरंग सी उठती है मन में,तूफ़ान सा उठाता है दिल में.और बढ़ जाता हूँ --कुछ कर देता हूँ.असंभव सा दीखने वाला काम मुझे ही नहीं मेरे साथियों को भी संभव दीखने लगता है.मेरे साथ सभी सपने देखने लगते हैं.पर सपने पूरे होते हैं क्या? तो फिर क्या हुआ?  

बुधवार, 11 नवंबर 2009

बहुत कुछ बदल गया .....पर कुछ भी तो नहीं बदला.


23 साल बीत गए. 24 साल शुरू हो गए. लगभग दो युग का अंत.  युगांत... आज ही के दिन 1986 में मैनें अपने कॉलेज में, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में व्याख्याता पद पर योगदान किया था. आज असोसिएट प्रोफेसर बन गया हूँ, परन्तु खुद को वहीं खडा पाता हूँ. बल्कि  तब बहुत अधिक जोश और उत्साह से लबरेज था मैं. जोश तो अब भी वही है, परन्तु कई बार उत्साह नही होता....परन्तु दुनिया को बदलने की तमन्ना अभी भी शेष है...वैसी की वैसी,एक दिवा स्वप्न की तरह . बहुत कुछ बदल गया .....पर  कुछ भी तो  नहीं बदला. बाल सफ़ेद हो गए. पत्नी गंभीर हो गयीं. बेटा 18 साल का हो गया. बेटी 12 साल की हो गयी..13 पूरे हो जायेंगे उसके भी जनवरी में.........