शनिवार, 21 नवंबर 2009

ye kaisi bachainee hai?


ये कैसा अनमनापन है? जोश-खरोश से  दुनिया को बदलने के सपने ३५ सालों से देख रहा हूँ.तरंग सी उठती है मन में,तूफ़ान सा उठाता है दिल में.और बढ़ जाता हूँ --कुछ कर देता हूँ.असंभव सा दीखने वाला काम मुझे ही नहीं मेरे साथियों को भी संभव दीखने लगता है.मेरे साथ सभी सपने देखने लगते हैं.पर सपने पूरे होते हैं क्या? तो फिर क्या हुआ?  

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