जीवन अमूल्य है .इसके हर कतरे को शिद्दत से जियो .पढो मेरी कविता ।
जब दिल रोता मैं हँसता हूँ
अपने ही ऊपर हंस लेता हूँ
फिर देख हँसी का ये झूठापन
मैं और जोर से हँसता हूँ.
शनिवार, 7 फ़रवरी 2009
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मुस्कुराने का सबब (ज़िंदगी की तलाश) आहऔर सिसकियाँ (सौगात-ए ज़िंदगी) "तू वफ़ा कर न कर ज़िंदगी, जी रहा मैं मगर ज़िंदगी।"
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