देश में चुनावी आंधी चल रही हो,नेता से लेकर जनता तक -सब पर बैसाख में भी होली की
खुमार हो,सभी कलम तोड़ लेखक अखबारों के पन्ने काले कर रहे हों,टी वी पर बुद्धिजीवी बनकर देश और समाज के स्वयम्भू ठेकेदार अपनी डफली -अपना राग का भोंपू बजा रहे हों, तो यह मुमकिन ही नही की आर डबल्यू ए को राजनीती के सफर की पहली सीढी बनने वाले छुटभइए और छुट्बहने तिरछी चल न चले.सभी जानते हैं की इंदिरापुरम में-- गाजियाबाद ही नही पूरे एन सी आर में एक नयी हलचल ,बहुत कम ही समय में, पैदा करके ,इंदिरापुरम जो कभी समस्यापुरम था को अब सुन्दरपुरम बनने में फेडरेशन ऑफ़ इंदिरापुरम आर डबल्यू ए को बड़ी सफलता मिली है.इस नए संगठन को खड़ा करने में इसके सभी शुरूआती सदस्यों का योगदान काफ़ी बड़ा रहा है.सच तो यह है की इस नयी ताकत को कुचलने का प्रयास यहाँ की सभी निहित स्वार्थी ताकतों ने किया था.लेकिन तब हमें कोई तोड़ नही पाया क्योंकि हम सब एक थे.मैं लगातार सबके संपर्क में रहता था और सभी मेरे मुरीद बन गए थे.लेकिन मेरे विरोधियों को हमारी टीम की यह एकता फूटी आँख भी नहीं सुहाती थी,इसीलिए उन्होंने अलग चाल चली--हमारे साथियों को अकेले-अकेले तोड़ने की मुहीम चला दी.एक दूसरे को नीचा दिखाने का षडयंत्र अभी भी चलाया जब रहा है.परन्तु मैं इस नापाक साजिश को सफल नही होने दूंगा.मैं अपने फेडरेशन के किसी साथी को नहीं टूटने दूंगा.आर डबल्यू ए को राजनीति का अखाडा बनाने वाले को kararaa जबाब दूंगा.मैं, जो स्वयं लम्बी अवधी से राजनीति से jura हुआ हूँ,आर डबल्यू ए को राजनीति से बचाए रखना चाहता हूँ,तो मेरे तमाम साथी जो राजनीती न तो जानते हैं और ना ही समझते हैं, क्यों नही इस खतरे को समझेंगे?मेरे धैर्य की थोडी और परीक्षा होनी बाकी है,मुझे ही फेडरेशन और सभी साथियों की सामूहिक ताकत को बचाए रखने की जिम्मेदारी निभाना होगी.आप सभी प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है की मुझे इस पुनीत कार्य में अपनी शुभकामना एवं अपना सुझाव दें.
रविवार, 12 अप्रैल 2009
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bahut sateek . dhanyawad.
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