रविवार, 20 दिसंबर 2009

'अभी-अभी' के आफिस से न्यूज एडिटर को पुलिस ने उठाया

मालिक और समूह संपादक भूमिगत : चरखी दादरी में पत्रकार उतरे सड़क पर, निकाला मौन जुलूस : प्रेस क्लब नारनौल ने की पुलिस कार्रवाई की निंदा : 'अभी-अभी' अखबार के रोहतक मुख्यालय से हरियाणा पुलिस ने न्यूज एडिटर उदयशंकर खवारे को गिरफ्तार कर लिया है। अखबार के मालिक और प्रधान संपादक कुलदीप श्योराण और ग्रुप एडिटर अजयदीप लाठर भूमिगत हो गए हैं। ये लोग अपनी अग्रिम जमानत कराने की कोशिश में हैं। सभी के मोबाइल स्विच आफ आ रहे हैं। 'अभी-अभी' से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि हरियाणा पुलिस एकेडमी के खिलाफ खबर छापे जाने से नाराज पुलिस अधिकारी अखबार की प्रिंटिंग रोकने की कोशिश कर रहे हैं। हिसार में प्रिंटिंग रोकी गई जिससे अखबार की प्रिंटिंग बाहर से कराई गई। अभी-अभी की सेकेंड लाइन को भी परेशान कर रही है पुलिस ताकि अखबार का प्रकाशन और संचालन अधिकतम बाधित की जा सके।



अभी-अभी का मुख्यालय पहले गुड़गांव हुआ करता था जिसे बाद में रोहतक शिफ्ट कर दिया गया। रोहतक, हिसार और नोएडा से प्रकाशित होने वाले इस अखबार को रोहतक के मधुबन स्थित हरियाणा पुलिस अकादमी के खिलाफ खबर छापना भारी पड़ रहा है। हालांकि हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है और विपक्षी पार्टियां भी सरकार पर पुलिस पर लगाम लगाने की मांग कर रही हैं लेकिन रोहतक पुलिस के अधिकारी अब भी पूरे जोर-शोर से 'अभी-अभी' और इससे जुड़े लोगों को नुकसान पहुंचाने की मुहिम में लगे हैं।



उधर, चरखी दादरी (भिवानी) में पत्रकार वीरवार को सड़क पर उतर आए। इन लोगों ने प्रदेश सरकार के इशारे पर पुलिस द्वारा एक समाचार पत्र के संपादक व संचालक के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे को खारिज करने व इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। मधुबन पुलिस की कायरतापूर्ण कार्रवाई से व्यथित पत्रकारों ने आज अपने बाजूओं पर काली पट्टी बांध शहर में मौन जुलूस निकाला तथा मुकदमे खारिज करने की मांग को लेकर उन्होंन स्थानीय एस.डी.एम. के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। दादरी पत्रकार कल्याण परिषद के अध्यक्ष प्रवीन शर्मा ने कहा कि सेक्स कांड का मामला सामने आने पर सरकार को उसी समय उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे देने चाहिए थे। लेकिन पुलिस ने मामले की पड़ताल किए बगैर पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर दिया जो लोकतंत्र पर सीधा हमला है। अगर इसी तरह कलम की आवाज को दबा दिया गया, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने पत्रकारों को एकजुट हो जाने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि शीघ्र पत्रकारों पर दर्ज किए गए मुकदमों को खारिज नहीं गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। बैठक के बाद सभी पत्रकार पूर्ण मार्केट से अपनी बाजूओं पर काली पट्टी बांध नगर के मुख्य बाजारों में मौन जुलूस निकालते हुए एस.डी.एम. कार्यालय में पहुंचे तथा पत्रकारों पर दर्ज किए गए मुकदमों को खारिज करने की मांग को लेकर एस.डी.एम. होशियार सिंह सिवाच के माध्यम से महामहिम राज्यपाल हरियाणा सरकार को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर परिषद् के प्रधान प्रवीन शर्मा, महासचिव शिव कुमार गोयल, वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गर्ग, रविंद्र सांगवान, रामलाल गुप्ता, उप प्रधान प्रदीप साहु, सुरेंद्र सहारण, प्रवक्ता राजेश चरखी, जगबीर शर्मा, राजेश गुप्ता, राकेश प्रधान, सचिव राजेश शर्मा, सोनू जांगड़ा, सुखदीप इत्यादि पत्रकार उपस्थित थे।

प्रेस क्लब नारनौल (हरियाणा) के अध्यक्ष असीम राव ने अपने एक बयान में कहा है कि हरियाणा में पुलिस किस तरह से निरंकुश होकर काम कर रही है, इसका नमूना मधुबन पुलिस अकादमी प्रकरण में दिख रहा है। बुधवार को पुलिस ने अखबार के समाचार संपादक उदयशंकर खवाड़े को प्रेस से जबरन उठा कर आपातकाल से भी बढ़कर निरंकुशता का परिचय दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रदेश में प्रेस स्वतंत्र है? क्या हरियाणा में लोकतंत्र है? यदि है तो अखबार के खिलाफ इस तरह का दमन किस तरह हो रहा है और आरोपी विभाग आरोप लगाने वालों को ही कैसे प्रताड़ित कर रहा है। आज नहीं तो कल इन सवालों का जवाब प्रदेश की जनता मांगेगी और पुलिस व प्रदेश के नेतृत्व को देने भी होंगे।



जिस तरह से पुलिस ने अभी-अभी के संपादक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रबंधक, रिपोर्टरों व वितरकों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए हैं उससे स्पष्ट हो गया है कि पुलिस अपनी शक्तियों का किस प्रकार से दुरूपयोग कर रही है। पुलिस ने हॉकर व एजेंट तक को नहीं बख्शा, खबर संपादक ने लिखी है और बौखलाए पुलिस अधिकारियों ने मुकदमें में करनाल के ब्यूरो प्रमुख को और अखबार बांट कर पेट पालने वाले लोगों को भी लपेट लिया है। सारे प्रकरण को देखकर लग ही नहीं रहा कि प्रदेश में लोकतंत्र भी है। एक तरफ प्रदेश का पुलिस नेतृत्व पुलिस की छवि सुधारने का दम भरता है तो दूसरी तरफ तानाशाही तरीके से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंटने का प्रयास किया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में प्रदेश सरकार की अब तक की निष्क्रियता भी कई सवाल खड़े कर रही है। मुख्यमंत्री ने जांच करवाने की बात तो कही है, लेकिन अखबार के निर्दोष लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमें दर्ज करने बाबत उन्होंने अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं किया है। अगर पुलिस अपनी मनमानी करके अखबार से जुड़े लोगों को प्रताड़ित करने में सफल रही और कल जांच में उसके वरिष्ठ अधिकारी दोषी साबित हुए तो प्रदेश सरकार की बदनामी ही होगी और स्वच्छ छवि के मुख्यमंत्री पर भी उस कालिख के छींटे पड़ सकते हैं। अगर बिना जांच करवाए ही मुकदमे दर्ज होने लगे तो फिर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कौन आगे आएगा?

ऊपर की खबर पढ़कर कौन हैरान होगा?क्या यही यथार्थ चरित्र नही है , हमारे लोकतंत्र का? मुझे तो लोकतंत्र के इस महान देश की पुलिसिया कार्रवाई का समृद्ध एवं निजी अनुभव है.१९९० में एक ही दिन में छार थाने की पुलिस ने अलग-अलग गिरफ्तार किया.१९९४ में मातृभाषा को सम्मान दिलाने हेतु धरना देने और सत्याग्रह करने के अपराध को देशद्रोह मन गया और तिहाड़ जेल की हवा खानी पड़ी.२००१ में शराबियों की हरकतों का विरोध करने की कीमत गाजियाबाद पुलिस की हिरासत में रात काटकर चुकानी पड़ी.और तो और जाब में दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत-परिषद् का निर्वाचित सदस्य था,तथा यहं इंदिरापुरम की तमाम आर डबल्यू एज के फेदरेसन का अध्यक्ष होने की हैसियत से लगातार मीडिया में चर्चित हूँ तब भी २००७ में पुलिस ने नही बख्शा.पता नही किस व्यवस्था में जी रहे है हम और क्या है इसका उप्छार? क्या हमें सिर्फ लड़ते ही रहना है? हाँ यही करते रहना है.पंकज जी के शब्दों में ---विहंस  कर जो चल चुका तूफ़ान में,क्यों डरे वह पथ मिले या न मिले?
न्यूज एडिटर उदयशंकर खवारे जी मेरी शुभकामना और बधाई के मुक्त अधिकारी हैं.

1 टिप्पणी:

  1. rahul gandhi k chamche media karmi va print media k maliko se anurodh karein turant haryana police controlled mein ho jayegi aur bhoolkarpolice k khilaaf mat likhein. police aur patrkaar mausere bhai hain jaise prathivi raj chauhaan aur jaychand mausere bhai the yah galti kahan se ho gayi .

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