अन्ना हजारे कि अवाज के मयने अलग-अलग लोगो के लिये अलग-अलग भि हो सकते है. ५ तरिख को जिस दिन उनक अनशन शुरु हुआ उस दिन शाम मे जन्तर-मन्तर पहुचा.लगभग एक हजार लोग थे.दूसरे दिन धरने स्थल के आस-पास कि सुधि ली, लोग अपने-अपने काम में मशगूल थे. परन्तु तिसरे दिन से वातावरण ही बदल गया. कोने-कोने से लोग वहां आने लगे. पिकनिक का सा महौल भी बन गया. परन्तु करपसन के खिलाफ़ लोगो कि अभिव्यक्ति भी थी वह भीर. यही मंजर और अवाम की अभिव्यक्ति देश के कोने-कोने मे पहुचनी चाहिये. झारखंड के तमाम भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ भी यही माहौल बनाना चाहिए. और हमारी मातृभूमि--अपर मंदार को भी अब न्याय मिलना चाहिए. अब हमें आजादी चाहिए--जन-मुक्ति चाहिए. हमारे इस अभियान में जो भी हमारे साथ हैं उनका स्वागत है. अन्ना हजारे की आवाज का एक मतलब यह भी है.
रविवार, 10 अप्रैल 2011
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