शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

पिछले कुछ महीनों से कोस रहा था खुद को कि सारा फेसबुक क्रांति करने में लगा हुआ है और मैं कविताओं या ग़ज़लों से क्रान्ति ला रहा हूँ ! आज सोचा चलो एक बार हुलक लेते हैं क्योंकि, अबतक तो फुल पावर से क्रांति आ चुकी होगी। अरे बाबा, देश तो एकदम्मे से बदल चुका है। जिसे देखो वही देश बदलने में लगा हुआ है। अधिकांश क्रांतिकारी भगवा लपेटकर और हुज़ूर को माई-बाप मानकर, तो कुछ भगवा को कोसकर ही सही, सब्भे अमेरिका को पछाड़ने में लगे हुए हैं, क्योंकि, हुजूर के आने के बाद अब चीन की तो कोई औकात ही नह...

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