शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

सपना दिन में देखा, टूटा



सपना दिन में देखा, टूटा,
रहबर ने ही सबको लूटा।

कैसे कहें अफ़रा तफ़री में,
किसने किसको कितना कूटा।

अक्सर करता बात बड़ी जो,  
होता है वह कद का बूटा।

दुनिया दारी समझी मैंने,
साथ तुम्हारा जबसे छूटा।

आज 'अमर' तुम बदले से हो,
पिघला पत्थर, झरना फूटा।

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