संदेश

दिसंबर, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खैराबेमू : रंगकर्मी आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ‘पंकज’ का समानान्तर नाट्य-आन्दोलन

“खैराबेमू” : रंगकर्मी आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ‘पंकज’ का समानान्तर नाट्य-आन्दोलन  “खैराबेमू” : रंगकर्मी आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ‘पंकज’ का समानान्तर नाट्य-आन्दोलन — डॉ अमर पंकज  सारांश: आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ‘पंकज’ का जन्म 30 जून 1919 को तत्कालीन बिहार के संताल परगना जिला स्थित खैरबनी गांव में और निधन 17 सितम्बर 1977 को अपने पैतृक गांव खैरबनी में ही हुआ था। मात्र 58 वर्ष की आयु पाने वाले ‘पंकज’ जी न केवल एक लोकप्रिय शिक्षक, विलक्षण कवि, गंभीर एकांकीकार, प्रखर समालोचक, सम्मानित साहित्यकार और उद्भट विद्वान थे, बल्कि एक प्रसिद्ध रंगकर्मी भी थे। वे 1955 में स्थापित “पंकज-गोष्ठी” नामक संस्था, जो एक महान ऐतिहासिक काव्यान्दोलन था, के प्रेरक और प्रणेता के साथ-साथ 1961 में स्थापित “खैराबेमू” नामक ग्रामीण नाट्य संस्था के भी प्रेरक और संस्थापक थे। विगत दशकों में यद्यपि कि आचार्य ‘पंकज’ के व्यक्तित्व और कृतित्व के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए विद्वानों और अध्येताओं द्वारा काफ़ी कुछ लिखा गया है, तथापि उनके रंगकर्मी व्यक्तित्व पर लगता है अभी तक किसी का समुचित ध्यान नही...
आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ‘पंकज’ के साहित्य में उत्तर-औपनिवेशिक भारतीय स्त्री का चित्रण डॉ अदिति गोविल स्वामी श्रद्धानंद महाविद्यालय  दिल्ली विश्वविद्यालय सामान्यतः हिन्दी भाषा के क्षेत्रीय कवियों को साहित्यिक संस्कृति के विद्वानों द्वारा अधिक महत्व नहीं दिया जाता। परंतु जैसा कि कहा गया है, किसी भी समय की समाज की गहराई से समझ, उस समाज की मूल भाषा के साहित्य के अध्ययन के बिना संभव नहीं है। यह शोध पत्र संताल परगना के एक क्षेत्रीय परंतु बड़े और महत्वपूर्ण हिन्दी कवि, आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा 'पंकज' (1919–1977) की कविताओं में प्रतिफलित स्त्रीवादी विचारों का विश्लेषण विशेष रूप से "स्नेह-दीप"(1958), "उद्गार"(1962) और "अर्पणा"(1961) जैसे काव्य-संग्रहों को आधार बनाकर करने का प्रयास करता है। अतः यह शोध आलेख उनके साहित्य में उत्तर-औपनिवेशिक भारतीय स्त्री विमर्श को रेखांकित और मूल्यांकन करने का प्रयास करता है, जिसमें उनकी पृष्ठभूमि, स्वाधीनता आंदोलन से प्रेरणा, गांधीवादी दर्शन, और शैक्षिक योगदान को आधार बनाया गया है। इसके साथ ही, स्त्री विमर्श के ऐतिहा...