बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(21 22 1212 22)
अश्क चूने लगे
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा )
दिल्ली विश्वविद्यालय
मोबाइल-9871603621
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(21 22 1212 22)
अश्क चूने लगे
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अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा )
दिल्ली विश्वविद्यालय
मोबाइल-9871603621
अश्क चूने लगे नहाना तुम
उम्र भर की सदा सुनाना तुम।
उम्र भर की सदा सुनाना तुम।
कौन जाने किसे लुभाते हैं
चश्म अपने नहीं छुपाना तुम।
चश्म अपने नहीं छुपाना तुम।
सर्द खूँ दौड़ता रंगों में तो
गर्म जज्बात ना दिखाना तुम।
गर्म जज्बात ना दिखाना तुम।
आसमाँ में घटा छँटी है अब
आब को मत कहीं लुटाना तुम।
आब को मत कहीं लुटाना तुम।
आतिशों की इमारतें हैं ये
फिर दिलों में दिये जलाना तुम।
फिर दिलों में दिये जलाना तुम।
ये हमारी "अमर" विरासत है
जख़्म गहरे मगर भुलाना तुम।
जख़्म गहरे मगर भुलाना तुम।
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