कल यानि १८ फरवरी को अशोक जाटव जी ने अपने पितजी की ६७वी जन्म तिथि पर जो कुछ सुनाया वह अत्यंत
ही प्रेरणास्पद था.हमने उसे जिस तरह समझा उसकी सबने तारीफ़ भी की.यहाँ भी उसे बताना चाहता हूँ.
गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009
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मुस्कुराने का सबब (ज़िंदगी की तलाश) आहऔर सिसकियाँ (सौगात-ए ज़िंदगी) "तू वफ़ा कर न कर ज़िंदगी, जी रहा मैं मगर ज़िंदगी।"
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है !
जवाब देंहटाएंउत्तम।
जवाब देंहटाएंnarayan narayan
जवाब देंहटाएंआपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .आपका लेखन सदैव गतिमान रहे ...........मेरी हार्दिक शुभकामनाएं......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग जगत में स्वागत है
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
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